लेखनी प्रतियोगिता -27-May-20 23 "ग़ज़ल "

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       "ग़ज़ल" बहुत बिख़री हूँ अब तो सिमट जाने दो।  ऐ हवाओं अब तो मुझको घर आने दो।।  मेरे अफ़साने बिख़र गये इन बादियों में।  अब तो जाकर लबों ...

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